
राज्य विभाजन के बाद बिहार में क्रिकेट धीरे-धीरे बेहतर स्थिति में दिखाई दे रहा है। सन् 2000ई में बिहार को विभाजित करके नए राज्य झारखंड गठन किया गया था । जिसके बाद से ही बिहार में क्रिकेट की स्थिति धीरे -धीरे शिथिल होती चली गयी। हालांकि राज्य बटवारे के बावजूद भी बिहार-झारखंड की रणजी टीम संयुक्त रूप से बिहार क्रिकेट संघ के नाम से बीसीसीआई के घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिताओं में 2003-04 सत्र तक खेलती थी। झारखंड राज्य क्रिकेट संघ की टीम 2004-05 सत्र से घरेलू क्रिकेट में शिरकत करने लगी। बिहार में क्रिकेट पूर्ण रूप से बंद हो जाने के कारण क्रिकेट और क्रिकेटरों का नुकसान होता रहा । बहुत सारा बाद-विवाद और लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद 2008 में बिहार क्रिकेट संघ को बीसीसीआई द्वारा एसोसिएट मान्यता प्रदान की गई। इसके बावजूद भी क्रिकेट संघ में आपसी खींचतान व वर्चस्व की लड़ाई में बिहार क्रिकेट फंस कर रह गया था। एसोसिएट टूर्नामेंट में बिहार के बेहतर प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बिहार को अंततः 2018 में पूर्ण मान्यता प्रदान की गयी। राज्य विभाजन के बाद अंततः 2018-19 सत्र में बिहार रणजी टीम की वापसी घरेलू क्रिकेट में हुई । निरंतर बेहतर प्रदर्शन व 2022-23 सत्र में बिहार के रणजी ट्रॉफी के प्लेट समूह में विजेता रहने के फलस्वरूप इस सत्र में राज्य विभाजन के बाद पहली बार बिहार रणजी टीम को एलिट समूह में खेलने का अवसर मिला। इस सत्र में बिहार ने उत्तर प्रदेश व केरल जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ मैंच ड्रा कराया। बिहार रणजी टीम के कप्तान आशुतोष अमण व कोच विकास कुमार का कहना है कि एलिट समूह में खेल कर खिलाडियों का मनोबल बढ़ेगा साथ ही बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उम्मीद करते हैं कि अब बिहार में क्रिकेट को एक अलग दिशा मिलेगी। बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। अगर यहाँ के खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाए मिले तो अब बिहार टीम से खेलकर भी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए यहाँ के खिलाड़ी खेल पाऐगें।